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Wednesday, November 12, 2014

क्या होता है दिशाशूल

क्या होता है दिशाशूल 

क्या आप जानते है कि बड़े बुजुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक क्यों करते हैं ? दरअसल ऐसा दिशाशूल के कारण होता है? दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ हमें उस दिन यात्रा नहीं करना चाहिए | ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है | परन्तु यदि एक ही दिन यात्रा करके उसी दिन हमें वापिस आना हो तो ऐसी दशा में दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है | साधारणतया दिशाशूल का इतना विचार नहीं किया जाता परन्तु यदि व्यक्ति को महत्वपूर्ण कार्य करना है तो दिशाशूल का ज्ञान होने से व्यक्ति मार्ग में आने वाली अड़चनो से अवश्य ही बच सकता है | यहाँ पर हम प्रतिदिन के दिशा शूलों कि पूरी जानकारी और उसके उपाय दे रहे है। 
यात्रा की दृष्टि से सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा, 
मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा, 
गुरुवार को दक्षिण तथा
शुक्र और रवि को पश्चिम दिशा की यात्रा करने को मना किया जाता है। 
सोमवार और गुरूवार को दक्षिण पूर्व ( आग्नेय कोण कि दिशा )
रविवार और शुक्रवार को दक्षिण पश्चिम ( नेतृत्य कोण कि दिशा )
मंगलवार को उत्तर पश्चिम ( वावयव कोण कि दिशा )
बुध और शनि को उत्तर पूर्व ( ईशान कोण कि दिशा )
इसी तरह कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को भी यात्रा का आरंभ नहीं करना चाहिए। यदि फिर भी किसी कारण वश यात्रा करनी ही पड़ जाये और दिशा शूल भी हो, तो भी नीचे दिए गए उपाए का पालन करके यात्रा की जा सकती है|
रविवार --

सोमवार--

मंगलवार --

बुधवार --

गुरूवार --

शुक्रवार --

शनिवार --

दलिया और घी

दर्पण देख कर

गुड खा कर

धनिया या तिल खा कर

दही खा कर

जों खा कर

अदरक या उड़द खा कर




इन उपायों का पालन करके दिशा शूल के प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है और आप अपनी यात्रा को सफल,सुखद और मंगलमय बना सकते है|

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