स्वयं को शुद्ध करने हेतु अपने दाहिने हाथ में कोई भी ताज़ा जल या जल लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करें , इसके पश्चात आप कोई भी यज्ञ इत्यादि कर सकते हैं
" ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो-अपि वा !
इसके बाद उस जल को अपने ऊपर छिरक / छींट लें
मंत्र
" ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो-अपि वा !
यः स्मरेत पुन्डरिकाक्षम स बाह्याभ्यंतरः शुचिः !!
इसके बाद उस जल को अपने ऊपर छिरक / छींट लें
No comments:
Post a Comment