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Friday, June 12, 2015

अलसी के असली फायदे




ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करता है।

तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।

कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाता है।

रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है।

जोड़ों का कड़ापन कम करता है।

प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखता है।

हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करता है।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।

त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है।

बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाता है।

इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों से राहत प्रदान करता है।

मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखता है।

अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।

अलसी का सेवन भोजन के पहले या भोजन के साथ करने से पेट भरने का एहसास होकर भूख कम लगती है।

इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।

चयापचय की दर को बढ़ाता है एवं यकृत को स्वस्थ रखता है।

प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रख कब्ज से मुक्ति दिलाता है।


अलसी के बीजों की विलक्षणता के तीन पहलू हैं और ये तीनों हमें इस खाद्य के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पहला है ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स, दूसरा प्लांट एस्ट्रोजन/एंटी ऑक्सीडैंट्स और तीसरा फाइबर।

 अलसी हमारी पाचन शक्ति बढ़ाती है और हमारे शरीर को ऊर्जा देने में सहायता करती है।


 ये बीज शरीर में ताप पैदा करते हैं, जो सर्दी तथा बरसात में जुकाम-खांसी से राहत देने में सहायक होता है।


अलसी के बीजों में फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के सही विकास में सहायक होते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा उच्च होने के कारण कोलोन का स्वास्थ्य बरकरार रहता है और आंतडिय़ों की गतिविधि में सुधार होता है।


अलसी के बीजों में ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं जो छाती में सूजन को कम करते हैं, हृदय रोगों से बचाते हैं और जोड़ों के दर्द, अस्थमा, डायबिटीज तथा कई किस्मों के कैंसर को भी रोकते हैं।


अलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडैंट्स रक्त को शुद्ध करते हैं, त्वचा तथा बालों को चमक देते हैं। ये शरीर की कई रोगों से सुरक्षा भी करते हैं।


अलसी के बीजों में मौजूद फाइटो-एस्ट्रोजैन्स महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से लडऩे में सहायक होते हैं। माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को अत्यधिक पेट दर्द होता है, वे अलसी के बीजों से इस दर्द से राहत पा सकती हैं।

एक छोटा चम्मच अलसी के बीजों को चबाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं तथा पैप्टिक अल्सर से छुटकारा मिल सकता है।


आहार में ले अलसी

ओमेगा-3 फैटी एसिड सामान्‍यत मांसाहारी खाद्य पदार्थों में पाया जाता हैं। लेकिन अलसी भी ओमेगा-3 फैटी एसिड का सबसे अच्‍छा स्रोतों में से एक है। सुपर फुड अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड के अलावा फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। डब्लयू एच ओ ने भी इसे सुपर फुड माना है। इसलिए शाकाहारियों को इसके अद्भुत लाभ पाने के लिए अपने आहार में अलसी को शामिल करने की सिफारिश की जाती है। यहां दिये व्‍यावहारिक तरीकों से आप अपने आहार में अलसी को अपना सकते हैं।

भुनी हुई अलसी
अधिकांश लोगों को सादी अलसी खाना पसंद नहीं होता है, ऐसे में आप अलसी को भूनकर इसका सेवन कर सकते हैं। ऐसा करना न केवल अलसी को स्‍वादिष्‍ट बल्कि कुरकुरा स्‍वाद भी देता हैं।

गर्म पानी के साथ अलसी
अलसी को पीसकर पाउडर के रूप में इस्‍तेमाल करना, अलसी को उपभोग करने का सबसे अच्‍छा तरीका है। इसके लिए आप गर्म पानी के एक गिलास के साथ एक चम्‍मच अलसी के पाउडर को नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्‍यान रखें कि अलसी को अधिक मात्रा में पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है।

फलों के रस में अलसी
आप अलसी के पाउडर को फलों के रस में मिलाकर भी ले सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास जूस यानी 150 मिलीलीटर में एक चम्‍मच अलसी पाउडर को मिला सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्‍यान रखें कि सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है

दही या रायते में अलसी
अगर आपको दही खाना पसंद है तो अलसी का रायता आपके लिए एक स्‍वादिष्‍ट विकल्‍प हो सकता हैं। अलसी का रायता बनाने के लिए आप एक कप कसी हुई लौकी, एक कप दही, आधी चम्‍मच मोटी पिसी अलसी, आधा चम्‍मच काला नमक और थोड़ी सी चीनी ले लें। फिर इन सब सामग्री को एक बाउल में मिलाकर एक घंटे के लिए ठंडा होने के लिए रखकर ठंडा सर्व करें।
टी या परांठे के रूप में
अलसी एक जीरो-कार्बोहाइड्रेट आहार है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है। शक्कर की मात्रा न्यूनतम होती है। आप अलसी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों को पाने के लिए रोटी या परांठे के रूप में भी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप आटा गूंथते समय अलसी को पीसकर आटे में मिलाकर रोटी या परांठे बना सकते हैं।

अलसी की चाय का भी मजा लें
अलसी का सेवन चाय के रूप में भी किया जा सकता है। अलसी की चाय बनाने के लिए एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आंच पर पकाएं जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीये। यह उपाय सर्दी, खांसी, जुकाम, दमा आदि में भी लाभकारी होती है। सर्दी होने पर इस चाय का सेवन दिन में दो से तीन बार करें।

गर्मा गर्म दूध और अलसी
दूध के साथ भी अलसी का सेवन किया जा सकता है। इसके लिए आप ए‍क गिलास गर्म दूध में एक चम्‍मच पीसी अलसी मिलाये। सोने से पहले इस मिश्रण को पीने से शरीर का सेरोटोनिन स्‍तर बढ़ता है, जिससे आपको अच्‍छी नींद आती है।


सलाद या व्यंजन के साथ
अपने आहार में सलाद या व्‍यंजन के रूप में अलसी को शामिल करना एक स्‍वस्थ और स्‍वादिष्‍ट तरीका है। इसके लिए अपने सलाद या व्‍यंजन को अच्‍छा स्‍वाद या फ्लेवर देने के लिए एक चम्‍मच भुने हुए अलसी के पाउडर उसपर छिलक सकते हैं। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग किया जा सकता है।


अलसी मिला चिकन भी है मजेदार
अलसी केवल शाकाहारी व्‍यंजन को ही स्‍वाद और सुगंध प्रदान नहीं करती बल्कि चिकन जैसे मांसाहारी व्‍यंजन को भी अद्वितीय स्वाद प्रदान करती है। आप चिकन को बनाते समय इसमें अलसी का पाउडर मिला सकते हैं या फिर डिश को गर्निश करने के लिए इसमें अलसी का पाउडर मिला सकते हैं। लेकिन ध्‍यान रहें कि गर्म तेल में सीधे अलसी के पाउडर को न मिलाये क्‍योंकि इससे आपकी डिश को स्‍वाद बिगड़ सकता हैं।

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