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Monday, June 2, 2014

एक नीम और सौ हकीम

नीम का पेड़ बहुत ही उपयोगी है. इसकी जड़ से लेकर टहनी, फूल-पत्ती और फल तक सभी औषधीय गुणों से भरपूर है. यह सभी के लिए कल्प वृक्ष के समान है. नीम की कड़वाहट ही उसका सबसे बड़ा गुण है. गर्मी के समय सभी पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं. लेकिन नीम हरा भरा रहता है.पहले के समय में अनाज और कपडो में नीम की पत्तियां ही रखी जाती थी ताकि अनाज और कपडो में कीड़े ना हो.तो आईये जाने नीम के औषधीय गुणों के बारे में.-    

रक्त शुद्धि में - नीम आमतौर पर कीटाणुओं को खत्म करने वाला होता है. प्रतिदिन नीम की पांच कोमल पत्तियां चबाकर खाने से सभी रोग दूर हो जाते हैं, खून शुद्ध हों जाता है और संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है. इसके अलावा दांतों से जुड़े सारे रोग खत्म हो जाते हैं और आवाज सुरीली हो जाती है.

दांतों के लिए - 
नीम की दातून करने से दांत साफ, मजबूत एवं चमकदार और रोग मुक्त हो जाते हैं. 

नीम की पत्तियों को सुखाकर जलाने पर उसके धुंए से मक्खी, मच्छर भाग जाते हैं.नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है. जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है. नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है.नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं.

त्वचा सम्बन्धी रोगो में - 
नीम की पत्तियों को उबालकर उस पानी से नहाने और आहार-विहार संतुलित रखने से त्वचा से जुड़े सारे रोग खुजली,अकौता एवं सोरायसिस आदि में लाभ मिलता है.नीम की पत्तियों को पीस कर फोड़े-फुन्सियों पर लगाने से पूरा आराम और लाभ मिलता है.

डायबिटीज में - नीम के तेल को कई औषधियों में प्रयोग करते हैं. आयुर्वेद में नीम वात-पित्त-कफ-तीनों रोगों को दूर करने वाला है.  पित्ती (एलर्जी), त्वचा रोगों एवं डायबिटीज में नीम के पत्तों का रस पीने से बहुत फायदा होता है.

कान के दर्द में  - 
नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फायदा होता है.
नीम के तेल की ५-१० बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है.

बबासीर में - नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है.

पेट में कीड़े होने पर - यदि पेट में कीड़े हो, तो (बड़ा हो या बच्चा) नीम की नई कोपलें के रस में शहद मिलाकर चाटें कीड़े समाप्त हो जायेंगे. पानी में नीम के तेल की कुछ बूंदें डालकर चाय की तरह पी जायें बच्चे को 5बूंद बड़ों को 8 बूंद इससे ज्यादा नहीं लेना है. नीम के पत्ते जरा सी हींग के साथ पीस लें और चाट जायें पेट के कीड़े नष्ट हो जायेंगे.

बालों के लिए - यदि बाल काले करना हो, तो नीम को पानी में उबाल कर सर धोयें. कम से कम एक महीना नतीजा आप के सामने होगा.नीम के तेल की दो बूंद नाक में डालने से बालों को झड़ने और सफेद होने से रोका जा सकता है. रूसी से छुटकारा पाने के लिए रात को सोते समय बालों में नीम के तेल की मालिश करें.

कुष्ट रोग में - कुष्ट रोग के लिये नीम एक वरदान के समान है इस रोग का इलाज नीम से हो सकता है. कुष्ट रोग फूट जाये तो नीम के नीचे सोयें, नीम खाओ, नीम बिछाकर सोयें. प्रतिदिन नीम के सौ पत्तों का चूर्ण, जल के साथ सेवन किया जाए तो किसी प्रकार का 6 मास तक का जीर्ण कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है. नीम के पत्र एवं हरड़ चूर्ण का सेवन करने से कुष्ठ रोग समाप्त हो जाते हैं. 

बुखार में - बुखार, पुराना बुखार, टाईफाइड हो, तो 20-25 नीम के पत्ती 20-25 काली मिर्च एक पोटली में बांधकर आधा किलो पानी में उबालें पानी खौलने दें ढक्कन लगाकर रखें, ठंडा होने पर चार हिस्सा बनाकर सुबह-शाम दो दिन तक पिलायें फिर देखे बुखार उतरा या नही. इस विधि से तो पुराना से पुराना बुखार भी उतर जाता है.

स्त्रियों के लिए - प्रसव होने पर प्रसूता के घर के दरवाजे पर नीम की पत्तियाँ तथा गोमूत्र रखने की ग्रामीण परम्परा मिलती है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि घर के अन्दर दुष्ट आत्माएं अर्थात संक्रामक कीटाणुओं वाली हवा न प्रवेश करे. नीम पत्ती और गोमूत्र दोनों में रोगाणुरोधी (anti bacterial)गुण पाये जाते हैं.

आयुर्वेद मत में नीम की कोमल छाल ४ माशा तथा पुराना गुड २ तोलाडेढ़ पाव पानी में औंटकरजब आधा पाव रह जाय तब छानकर स्त्रियों को पिलाने से रुका हुआ मासिक धर्म पुन: शुरू हो जाता है. 

प्रसूता को बच्चा जनने के दिन से ही नीम के पत्तों का रस कुछ दिन तक नियमित पिलाने से गर्भाशय संकुचन एवं रक्त की सफाई होती हैगर्भाशय और उसके आस-पास के अंगों का सूजन उतर जाता हैभूख लगती हैदस्त साफ होता हैज्वर नहीं आता

कोलेस्ट्रोल - नीम एक रक्त-शोधक औषधि हैयह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है. नीम का महीने में १० दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक की बीमारी दूर हो सकती है. लीवर की बीमारी में भी नीम पत्ती का सेवन लाभदायक पाया गया है.

दमा रोग में - नीम का शुद्ध तेल ३० से ६० बूंद तक पान में रखकर खाने से दमा से छुटकारा मिलता है. नीम के २० ग्राम पत्ते को आधा लीटर पानी में उबालकर जब एक कप रह जाय,कुछ दिन पीते रहने से भी दमा जड़ से नष्ट होता है.नीम के फूलों का सेवन करने से कफ नष्ट होता है.

पथरी में - नीम की पत्तियों की राख २ माशा जल के साथ नियमित कुछ दिन तक खाते रहने से पथरी गलकर नष्ट हो जाती है.
कई वर्षों तक लगातार हर साल १०-१५ दिन तक नीम की पत्तियों का सेवन किये हुए व्यक्ति को सर्पबिच्छू आदि के विष का असर नहीं होता. नीम बीज का चूर्ण गर्म पानी के साथ पीने से भी विष उतरता है.

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