Pages

Thursday, September 6, 2012

कालसर्प योग

कालसर्प योग
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक भाव के लिए अलग अलग कालसर्प योग के नाम दिये गये हैं. इन काल सर्प योगों के प्रभाव में भी काफी कुछ अंतर पाया जाता है जैसे प्रथम भाव में कालसर्प योग होने पर अनन्त काल सर्प योग बनता है.

अनन्त कालसर्प योग (Anant KalsarpaDosh)
जब प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तब यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित होने पर व्यक्ति को शारीरिक और, मानसि
क परेशानी उठानी पड़ती है साथ ही सरकारी व अदालती मामलों में उलझना पड़ता है. इस योग में अच्छी बात यह है कि इससे प्रभावित व्यक्ति साहसी, निडर, स्वतंत्र विचारों वाला एवं स्वाभिमानी होता है.

कुलिक काल सर्प योग (Kulik Kalsarpa Dosh)
द्वितीय भाव में जब राहु होता है और आठवें घर में केतु तब कुलिक नामक कालसर्प योग बनता है. इस कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक काष्ट भोगना होता है. इनकी पारिवारिक स्थिति भी संघर्षमय और कलह पूर्ण होती है. सामाजिक तौर पर भी इनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहती.

वासुकि कालसर्प योग (Vasuki Kalsarp Dosh)
जन्म कुण्डली में जब तृतीय भाव में राहु होता है और नवम भाव में केतु तब वासुकि कालसर्प योग बनता है. इस कालसर्प योग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का जीवन संघर्षमय रहता है और नौकरी व्यवसाय में परेशानी बनी रहती है. इन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है व परिजनों एवं मित्रों से धोखा मिलने की संभावना रहती है. शंखपाल कालसर्प योग (Shankhpal Kalsarp Yoga) राहु जब कुण्डली में चतुर्थ स्थान पर हो और केतु दशम भाव में तब यह योग बनता है. इस कालसर्प से पीड़ित होने पर व्यक्ति को आंर्थिक तंगी का सामना करना होता है. इन्हें मानसिक तनाव का सामना करना होता है. इन्हें अपनी मां, ज़मीन, परिजनों के मामले में कष्ट भोगना होता है.

पद्म कालसर्प योग (Padma Kalsarp Dosh)
पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु होने पर यह कालसर्प योग बनता है. इस योग में व्यक्ति को अपयश मिलने की संभावना रहती है. व्यक्ति को यौन रोग के कारण संतान सुख मिलना कठिन होता है. उच्च शिक्षा में बाधा, धन लाभ में रूकावट व वृद्धावस्था में सन्यास की प्रवृत होने भी इस योग का प्रभाव होता है.

महापद्म कालसर्प योग (Mahapadma Kalsarp Dosh)
जिस व्यक्ति की कुण्डली में छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु होता है वह महापद्म कालसर्प योग से प्रभावित होता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति मामा की ओर से कष्ट पाता है एवं निराशा के कारण व्यस्नों का शिकार हो जाता है. इन्हें काफी समय तक शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है. प्रेम के ममलें में ये दुर्भाग्यशाली होते हैं.

तक्षक कालसर्प योग (Takshak Kalsarp Dosh)
तक्षक कालसर्प योग की स्थिति अनन्त कालसर्प योग के ठीक विपरीत होती है. इस योग में केतु लग्न में होता है और राहु सप्तम में. इस योग में वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है. कारोबार में साझेदारी लाभप्रद नहीं होती और मानसिक परेशानी देती है.

शंखचूड़ कालसर्प योग (Shankhchooda Kalsarp Dosh)
तृतीय भाव में केतु और नवम भाव में राहु होने पर यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति जीवन में सुखों को भोग नहीं पाता है. इन्हें पिता का सुख नहीं मिलता है. इन्हें अपने कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है.

घातक कालसर्प योग (Ghatak Kalsarp Dosh)
कुण्डली के चतुर्थ भाव में केतु और दशम भाव में राहु के होने से घातक कालसर्प योग बनता है. इस योग से गृहस्थी में कलह और अशांति बनी रहती है. नौकरी एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना होता है.

विषधर कालसर्प योग (Vishdhar Kalsarp Dosh)
केतु जब पंचम भाव में होता है और राहु एकादश में तब यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को अपनी संतान से कष्ट होता है. इन्हें नेत्र एवं हृदय में परेशानियों का सामना करना होता है. इनकी स्मरण शक्ति अच्छी नहीं होती. उच्च शिक्षा में रूकावट एवं सामाजिक मान प्रतिष्ठा में कमी भी इस योग के लक्षण हैं.

शेषनाग कालसर्प योग (Sheshnag Kalsarp Dosh)
व्यक्ति की कुण्डली में जब छठे भाव में केतु आता है तथा बारहवें स्थान पर राहु तब यह योग बनता है. इस योग में व्यक्ति के कई गुप्त शत्रु होते हैं जो इनके विरूद्ध षड्यंत्र करते हैं. इन्हें अदालती मामलो में उलझना पड़ता है. मानसिक अशांति और बदनामी भी इस योग में सहनी पड़ती है. इस योग में एक अच्छी बात यह है कि मृत्यु के बाद इनकी ख्याति फैलती है. अगर आपकी कुण्डली में है तो इसके लिए अधिक परेशान होने की आवश्यक्ता नहीं है. काल सर्प योग के साथ कुण्डली में उपस्थित अन्य ग्रहों के योग का भी काफी महत्व होता है. आपकी कुण्डली में मौजूद अन्य ग्रह योग उत्तम हैं तो संभव है कि आपको इसका दुखद प्रभाव अधिक नहीं भोगना पड़े और आपके साथ सब कुछ अच्छा हो.

Friday, June 1, 2012

तुतलाना एवं हकलाना


तुतलाना एवं हकलाना

बच्चे यदि एक ताजा हरा आँवला रोजाना कुछ दिन चबाएँ तो तुतलाना और हकलाना मिटता है। जीभ पतली और आवाज साफ आने लगती है। मुख की गर्मी भी शांत होती है। 
बादाम की गिरी सात, काली मिर्च सात, दोनो को कुछ बूंदे पानी के साथ घिसकर चटनी से बना लें और इसमे जरा-सी मिश्री पिसी हुई मिलाकर चाटें। प्रात: खाली पेट कुछ दिन लें।
स्पष्ट नहीं बोलने और काफी ताकत लगाने पर भी हकलाहट दूर न हो तो दो काली मिर्च मुँह में रखकर चबायें-चूसे। यह प्रयोग दिन में दो बार लम्बे समय तक करे।

हकलाना, तुतलाना (STAMMERING)


हकलाना, तुतलाना
(STAMMERING)

परिचय :-
          हकलेपन की आदत होने पर रोगी को बोलने व किसी से बात करने में बहुत परेशानी होती है। हकलापन में व्यक्ति कभी बोलते समय बीच का शब्द भूल जाता है, कभी शुरू का शब्द बोलना भूल जाता है और कभी जोर-जोर से बोलता है। यह रोग छोटे बच्चों में विशेषकर 2 से 5 साल के बच्चों में माता-पिता के द्वारा बच्चों को बार-बार डांटने के कारण पैदा होता है। यदि कोई बच्चा प्रारम्भ के कुछ वर्षों में साफ बोलने में कुछ कठिनाई महसूस करता है या बोलते समय तुतलाता रहता है तो उसे हकलाना या तुतलाना रोग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि बाद में चलकर बच्चा साफ बोलने लगता है।
कारण :-
          हकलापन होने के कई कारण हो सकते हैं। भावानात्मक ठेस (आघात) पहुंचना, जबान तालु व होठ के विकास में पूर्ण सामंजस्य न होना, बाल्यावस्था के दौराना पीड़ा होना, डर या उत्तेजना होना आदि। विकास की गति धीमी होने के कारण भी हकलापन व तोतलापन आ सकता है। पचास से अधिक आयु वाले व्यक्ति में पक्षाघात होने के बाद यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
लक्षण :-
          इस रोग में रोगी बोलने में असमर्थ रहता है, कभी-कभी शुरू के शब्द को ही कई बार दोहरा देता है। कोई भी बात असंगत व असम्बद्ध हो तो वह नहीं कह पाता है। बोलने में वह कई प्रकार से परेशानी महसूस करता है।
तुतलापन व हकलापन से पीड़ित रोगी का उपचार करने के साथ ही कुछ अन्य उपाय :-
  1. तुतलापन से पीड़ित रोगी को चाहिए कि वह जो भी वाक्य या शब्दों को बोले उसे पहले मन में दोहरा लें।
  2. प्रतिदिन आराम से शांतपूर्णक शब्दों को बोलने की कोशिश करें और हमेशा बोलते समय तनाव से मुक्त रहकर ही बोलें।
  3. कुर्सी पर सीधें बैठे व सांस लेते समय सांस को ऊपर उठाएं। आगे झुकते समय रोकें व हाथ नीचे लाते समय सांस को धीमें से बाहर निकालें।
  4. बोलने की मांस-पेशियों को नियंत्रत करने हेतु स्पीक थेरैपी तकनीक का उपयोग करें।
  5. आराम एवं हकलाना रोकने के लिए स्वयं की आवाज को सुनने की कोशिश करें।
  6. हकलापन को दूर करने के लिए समूह में गाना गाने, नाटक करने से लाभ मिलता है।
  7. हकलाना दूर करने के लिए अपने आत्म विश्वास को जगाएं इससे लाभ मिलेगा।
  8. यदि आपके बच्चे को बोलने में कठिनाई हो या किसी शब्द को बोलने में परेशानी हो तो उसको इसका ऐहसास मत दिलाएं उसके रोग को उपचार करवाएं।

Wednesday, May 16, 2012

पीपल


अर्थात्‌ ब्रह्मा समान, विष्णु समान, महादेव शिव समान वृक्षराज आपको नमस्कार है।
शास्त्रों में वर्णित है कि अश्वथ: पूजितोयत्र पूजिताः सर्व देवताः अर्थात पीपल की सविधि पूजा – अर्चना करने से संपूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते है।
 
पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य का विनाश होता है। पीपल के दर्शन – पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है।
पीपल का वृक्ष आध्यात्म की दृष्टि से उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हमारा सांस लेना। पीपल को शास्त्रों में ”वृक्षराज” कहा गया है जिसके अन्दर ३३ करोड देवी – देवताओं का वास होता है।
 
अश्वथ-व्रत-अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।  शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष के पूजन और सात परिक्रमा करने से शनि की पीडा का शमन होता है।
 
नवग्रहों में मुखय रुप से गुरु व शनि ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिये पीपल के वृक्षों को मंदिर में लगाना व जल द्वारा सींचना विशेष लाभदायक माना गया है।
 
शनि – दृष्टि से राहत पाने के लिये हर शनिवार पीपल के वृक्ष की जड में सरसों का तेल समर्पित करके प्रार्थना करना अचूक उपाय है। अनुराधा ऩक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या में पूजा करने से बडे संकट से मुक्ति मिल जाती है।
 
श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करना संकट-मुक्ति का  अचूक उपाय है। पीपल वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान करना  शुभ होता है।
 
योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ही ध्यान में लीन  हुए थे। अशुभ गुरु के कुप्रभावों को दूर करने के लिये तथा गुरु की प्रसन्नता के लिये पीपल उगाना र्स्वोत्तम उपाय है।
पीपल का पेड घर में नहीं उगाना चाहिए,क्योकि पीपल कि जड़ें मकान कि नीव को कमजोर कर सकती है । 
 
बल्कि मंदिर के बगीचे में पीपल का पेड गुरुवार के दिन रोपकर , उसकी नियमित देखभाल करने से धन -वैभव व उच्च ज्ञान का लाभ जरुर मिलता है।
 
 
घर के बाहर पीपल का पेड पश्चिम दिशा में ही शुभ होता है
 
।यदि कोई वृद्ध व्यक्ति ज्यादा बीमार है तो शमशान में पीपल का पेड रोपना चाहिए।
‘विष्णुप्रिया” तुलसी
हमारी भारतीय संस्कृति में विशेषकर हिंदू धर्म में तुलसी का महत्व सबसे अधिक है। तुलसी का पौधा दिन व रात दोनों समय लगातार ऑक्सीजन अर्थात्‌ प्राणवायु  प्रवाहित करता रहता है। तुलसी के पत्ते, बीज, तना, जड आदि सभी विभिन्न प्रकार से उपयोग में लायी जाती है। रोगो को दूर करने के लिए भी तुलसी के पौधे का उपयोग होता है।
 
तुलसी के पौधे को ”विष्णुप्रिया” भी कहा जाता है। इसीलिये विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी का पौधा घर में लगाया जाता है। जहां तुलसी का पौधा होता हैं वहॉ मच्छरों का प्रकोप कम हो जाता है। अतः मलेरिया के रोकथाम में भी तुलसी का विशेष महत्व है।
 
ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी जी के दर्द्गान करने से स्वर्ण दान का फल मिलता है । शास्त्रों के अनुसार तुलसी जी का पौधा यदि घर में लगा है, तो पौधे की नियमित पूजा अर्चना अवश्य करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन के दक्षिण भाग में तुलसी का पौधा नहीं लगाना चाहिए।
 
प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा होना हमेशा शुभ रहता है। तुलसी का पौधा हमेशा आक्सीजन (प्राणवायु) विसर्जित करता है अतः वातावरण में सदा सकारात्मक उर्जा प्रवाहित होती रहती है।
 
तुलसी जी का पौधा घर के ब्रह्मस्थान पर (यदि खुला हो) लगाना अतिशुभ होता है।
 
तुलसी के पौधे के प्रातः व सांयकाल पूजा – अर्चना करा आवश्यक होता है।

Monday, April 2, 2012

झड़ते बालों के लिए ट्राई करें यह घरेलू नुस्खा


बालों के झड़ने की कोई एक वजह नहीं होती। इसे रोकने के लिए आप कुछ घरेलू उपचार ट्राय कर सकते हैं।


सिर में मसाज करना खून के दौरान को बेहतर करता है, जिससे बालों को पोषण मिलता है। मसाज के बाद बालों को गर्म पानी में भिगोकर निचोड़े गए टॉवेल से स्टीम जरूर दें।


हेयर ड्रायर का इस्तेमाल जितना कम से कम हो बेहतर है। क्योंकि हीट बालों को डल और रफ बनाती है, जिससे बाल झड़ने की समस्या आती है। आयरनिंग कम से कम करें। करवाना भी हो तो हीट प्रोटेक्टर जरूर लगवाएं।


बालों की सेहत और विकास के लिए कैस्टर (अरंडी) का तेल बहुत फायदेमंद है। इसे आयोडीन के साथ मिलाकर लगाने से बेहतर नतीजे आप खुद ही देख पाएंगी। बालों पर हल्के गुनगुने तेल से मसाज करना भी फायदा पहुंचाता है।


अगर आप अल्कोहल लेते हैं तो इसकी मात्रा जरूर कम कर दें। क्योंकि यह बालों को रूखा बनाती है। बालों पर ऐसे प्रोडक्ट्स भी इस्तेमाल न करें, जिनमें अल्कोहल होता है। इससे रूखेपन के साथ ही बाल दोमुंहे होने और टूटने की समस्या में बढ़त देखी गई है।

रात को बिस्तर पर जाते वक्त सभी बैंड्स, क्लिप्स निकाल दें। बेहतर यह है कि सैटिन का तकिया इस्तेमाल करें, जिससे बालों को नर्मी मिले। इससे टूटने की समस्या कम होती है।

जड़ों को मजबूत करने के लिए अंडे के सफेद हिस्से और नींबू को मिलाकर ३क् मिनट तक स्कल पर लगाएं और फिर शैंपू कर लें।

नीम की पत्तियां डालकर पानी को उबाल लें और फिर इस पानी से बाल धोएं, इसके अलावा नीम के तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाकर भी लगा सकते हैं। हिना लगाना भी बाल झड़ने की समस्या को रोकता है। आंवले और बादाम को रात भर भिगोकर सुबह मिक्सी में पीस लें, फिर पानी में मिक्स करके मलमल के कपड़े से छान लें। फिर इस पानी से सिर धोएं। गीले बालों में कंघा न करें।